जांच में खुलासा, डॉक्‍टरों की लापरवाही ने 15 लोगों की आंख छीन ली

जांच में खुलासा, डॉक्‍टरों की लापरवाही ने 15 लोगों की आंख छीन ली

सेहतराग टीम

इंदौर में 15 मरीजों के मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद एक-एक आंख की रोशनी चली जाने के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। जांच में पता चला है कि ऑपरेशन की प्रक्रिया से जुड़े डॉक्‍टरों ने घातक बैक्‍टीरिया संक्रमण के लक्षणों की घोर अनदेखी की जिसके कारण आंखों की रोशनी चली गई। जिला प्रशासन की जांच से जुड़े एक आला अधिकारी का कहना है कि ऑपरेशनों के बाद पुराने मरीजों में आंखों में संक्रमण के लक्षणों की कथित अनदेखी करते हुए अस्पताल के डॉक्टर इसी परिसर में नए मरीजों की मोतियाबिंद की सर्जरी करते रहे। 

अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (एडीएम) कैलाश वानखेड़े के अनुसार इंदौर नेत्र चिकित्सालय में पांच अगस्त को जिन आठ मरीजों के मोतियाबिंद ऑपरेशन किये गये थे, उनमें से चार मरीजों की आंखों में सूजन और संक्रमण के लक्षणों की जानकारी इस सर्जरी के अगले ही दिन यानी छह अगस्त को अस्पताल के डॉक्टरों को मिल गई थी। अस्पताल में इन मरीजों की इस समस्या का इलाज भी शुरू कर दिया गया था। इन पुराने मरीजों की आंखों में संक्रमण की समस्या से वाकिफ होने के बाद भी अस्पताल प्रबंधन ने आठ अगस्त को मोतियाबिंद ऑपरेशनों का शिविर आयोजित किया। इस शिविर में 14 लोगों के ऑपरेशन किए गए थे जिनमें से 11 मरीजों की आंखों में संक्रमण पाया गया है।

वानखेड़े के अनुसार मेडिकल प्रोटोकॉल के लिहाज से अस्पताल प्रबंधन को आठ अगस्त को मोतियाबिंद ऑपरेशन शिविर रद्द कर देना चाहिये था। उन्होंने कहा कि इंदौर नेत्र चिकित्सालय में वर्ष 2010-11 में ऑपरेशन बिगड़ने से 18 लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी। इसके बाद भी अस्पताल प्रबंधन ने इस चूक से सबक नहीं लिया और असावधानी से इस महीने मोतियाबिंद ऑपरेशन बिगड़ गए।

वानखेड़े ने बताया कि मामले में गठित जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट जिलाधिकारी लोकेश कुमार जाटव को सौंप दी है। आगामी कदम के तहत इसे उचित सिफारिशों के साथ प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव को भेजा जा रहा है।

इंदौर नेत्र चिकित्सालय एक परमार्थ ट्रस्ट द्वारा चलाया जाता है और हाल के मोतियाबिंद ऑपरेशन बिगड़ने के बाद प्रदेश सरकार ने इसका पंजीयन निरस्त कर दिया है। अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक सुधीर महाशब्दे ने दावा किया कि अस्पताल में आठ अगस्त को मोतियाबिंद ऑपरेशन कराने वाले मरीजों की आंखों में बैक्टीरिया संक्रमण के पुख्ता संकेत हमें पहली बार नौ अगस्त को मिले थे। हमने इसी तारीख से अस्पताल में नए ऑपरेशनों का सिलसिला रोकते हुए संक्रमित मरीजों का उचित इलाज शुरू कर दिया था। 

महाशब्दे ने कहा, मरीजों की आंखें संभवतः स्यूडोमोनस एरूजिनोसा नाम के बैक्टीरिया से संक्रमित हुईं। हालांकि, हमें अब तक समझ नहीं आ रहा है कि अस्पताल में संक्रमण से सुरक्षा के पक्के इंतजामों के बावजूद यह बैक्टीरिया मरीजों की आंखों में कैसे पहुंचा? 

अधिकारियों ने बताया कि इंदौर नेत्र चिकित्सालय में पांच अगस्त और आठ अगस्त को मोतियाबिंद ऑपरेशन कराने वाले लोगों में शामिल 15 मरीजों ने अपनी एक-एक आंख की रोशनी जाने की शिकायत की है। प्रदेश सरकार इनमें से पांच गंभीर मरीजों को चेन्नई के शंकर नेत्रालय भेज चुकी है। इसके अलावा, आठ मरीजों का इंदौर के चोइथराम हॉस्पिटल में इलाज कराया जा रहा है। बेहद गंभीर संक्रमण के चलते दो अन्य मरीजों की जान को खतरे के मद्देनजर डॉक्टरों को उनकी एक-एक आंख निकालनी पड़ी है।

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